अपना घर  लुटा हम खुशनसीब हो गए

उनसे  दूर जाकर उनके और करीब हो गए

दोस्त को बना नामावर भेजी प्यार की खबर

यार की सूरत देख वो   भी रकीब हो गए

जो चहक के मिलते थे नजर चुरा गुजरते हैं

मुफ़लिसी में हम नहीं हुए दोस्त क्यों अजीब हो गए

जब से कीलों बिंधा मसीहा का बदन दिखा

दुनियां के ऐशो आराम मानों सलीब हो गए

सब कुछ बाँट बिखेर , हम तो हुए अमीर

जिन्होंने जोड़ना शुरू किया वो गरीब हो गए

 

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